स्मार्ट फ़ोन के इस दौर में , फेसबुक का ही जोर है ।
बिना इंटरनेट के बेटा ,तू तो बैकवर्ड स्योर है ॥
भाई बेहन भी अब ,वाटसएप्प में ही चेट करते हैं ।
मन की बात अपनों से कहने को , अब फेसबुक के पोस्ट ही भरते हैं ॥
ट्वीट बना अब एक और ज़रिया , लोकप्रियता बढाने का ।
फोल्लो करके अपने आदर्श के ,पीछे-पीछे जाने का ॥
अब पूछो तो दोस्त तुम्हारे ,कितने हैं बेटा प्यारे ।
बोले तुतलाके हर बालक , फाइव हन्ड्रेड हैं अंकल सारे ॥
बच्चों का तो क्या कहना था,माँ-बाप भी हुऐं हैं गुल।
जैली बीन से किट-कैट तक उपग्रेडशन में हैं मशगूल ॥
एंड्राइड का आया ज़माना ,सब कनेक्ट हो रहते हैं ।
एक दूजे की पप्रॉब्लम में ,अब सिर्फ कमेंट ही होते हैं ॥
तारीफों का दौर गया ,अब लाइक -डिसलाइक ही चलता है ।
पहले अपना तो अपना था ,अब वो भी पराया सा लगता है॥
नशा हुआ है सबको सोशल नेटवर्क में रहने का ।
चलती नहीं थी जिसकी कहीं भी ,उसपे भी है मौका कहने का॥
भावों को जाहिर करने का , ये एक अहम् हथियार बना।
पहले एक प्रिये -प्रियतम थे, अब हर एक का सपना हज़ार हुआ ॥
हज़ारों के फ़ोन लिए जब साथ में बच्चे चलते हैं ।
मम्मी-डैडी उन सबके इतराते नहीं थकते हैं ॥
कहते हैं ये ज्ञान का सागर ,उनको दर्श दिखायेगा ।
नॉलेज हैं इसमें इतनी सारी ,बच्चा नंबर वन बन जाएगा ॥
दादा -दादी से मिले नहीं तो क्या स्काइप में सारी बात हुई ।
पहली बार मिले जब उनसे ,तब गोद की ना कोई आस रही ॥
बात समझ बस इतनी आती ,यह हमको ना जोड़ सका।
इसके भ्रम में हुमने अपनों को ,खुद से ही है दूर रखा ॥
दोष नहीं तुम मढ़ना इसपर, यह कोई गुनहगार नहीं ।
यह तो हैं बस सूचना का माध्यम,मिलता इससे प्याय नहीं ॥
बिना इंटरनेट के बेटा ,तू तो बैकवर्ड स्योर है ॥
भाई बेहन भी अब ,वाटसएप्प में ही चेट करते हैं ।
मन की बात अपनों से कहने को , अब फेसबुक के पोस्ट ही भरते हैं ॥
ट्वीट बना अब एक और ज़रिया , लोकप्रियता बढाने का ।
फोल्लो करके अपने आदर्श के ,पीछे-पीछे जाने का ॥
अब पूछो तो दोस्त तुम्हारे ,कितने हैं बेटा प्यारे ।
बोले तुतलाके हर बालक , फाइव हन्ड्रेड हैं अंकल सारे ॥
बच्चों का तो क्या कहना था,माँ-बाप भी हुऐं हैं गुल।
जैली बीन से किट-कैट तक उपग्रेडशन में हैं मशगूल ॥
एंड्राइड का आया ज़माना ,सब कनेक्ट हो रहते हैं ।
एक दूजे की पप्रॉब्लम में ,अब सिर्फ कमेंट ही होते हैं ॥
तारीफों का दौर गया ,अब लाइक -डिसलाइक ही चलता है ।
पहले अपना तो अपना था ,अब वो भी पराया सा लगता है॥
नशा हुआ है सबको सोशल नेटवर्क में रहने का ।
चलती नहीं थी जिसकी कहीं भी ,उसपे भी है मौका कहने का॥
भावों को जाहिर करने का , ये एक अहम् हथियार बना।
पहले एक प्रिये -प्रियतम थे, अब हर एक का सपना हज़ार हुआ ॥
हज़ारों के फ़ोन लिए जब साथ में बच्चे चलते हैं ।
मम्मी-डैडी उन सबके इतराते नहीं थकते हैं ॥
कहते हैं ये ज्ञान का सागर ,उनको दर्श दिखायेगा ।
नॉलेज हैं इसमें इतनी सारी ,बच्चा नंबर वन बन जाएगा ॥
दादा -दादी से मिले नहीं तो क्या स्काइप में सारी बात हुई ।
पहली बार मिले जब उनसे ,तब गोद की ना कोई आस रही ॥
बात समझ बस इतनी आती ,यह हमको ना जोड़ सका।
इसके भ्रम में हुमने अपनों को ,खुद से ही है दूर रखा ॥
दोष नहीं तुम मढ़ना इसपर, यह कोई गुनहगार नहीं ।
यह तो हैं बस सूचना का माध्यम,मिलता इससे प्याय नहीं ॥