आज होठों ने हमको फिर धोका दिया ।
इजहारे मोहब्बत फिर पलखों ने की ॥
दिल ने फिर उनके इशारों को समझा ।
शुरू मोहब्बत की बातें फिर हनी लगी ॥
समय कि बयाँ में हम बेहने लगे ।
दरिया का हमको सहारा न था ॥
कश्ती थी उनकी दरिया में लेकिन।
चढ़ने का हमको इशारा ना था ॥
वाज़िब था उनका फासले हमसे रखना ।
पर दिल को हमारे ना मंजूर था ॥
दबे हुए क़दमों से उनतक जो पहुंचे ।
महोब्बत का हमको इक फितूर था ॥
इनकार-ऐ-इज़हार समझे तो थे हम।
पर ज़ुबाँ से सुनने का इरादा तो था ॥
चाहते तो थे वो आपने से ज़यादा ।
पर मिलना तो उनको गवारा ना था ॥
ख़्वाबों में उनके हम ही थे लेकिन ।
जुबां पर तो हमको उतरा ना था ॥
कांटो के रास्ते पर चल वो रहे थे ।
पर चेहरे पर शिकन का नाज़ारा ना था ।
दुआ थी हमारी सलामत रहें वो।
रहे दिल में उनके बस नाम हमारा ॥
बड़के उनसे कोई दूजा ना देखा ।
अब उनसे दूर रहना ना हमको गवारा ॥
इजहारे मोहब्बत फिर पलखों ने की ॥
दिल ने फिर उनके इशारों को समझा ।
शुरू मोहब्बत की बातें फिर हनी लगी ॥
समय कि बयाँ में हम बेहने लगे ।
दरिया का हमको सहारा न था ॥
कश्ती थी उनकी दरिया में लेकिन।
चढ़ने का हमको इशारा ना था ॥
वाज़िब था उनका फासले हमसे रखना ।
पर दिल को हमारे ना मंजूर था ॥
दबे हुए क़दमों से उनतक जो पहुंचे ।
महोब्बत का हमको इक फितूर था ॥
इनकार-ऐ-इज़हार समझे तो थे हम।
पर ज़ुबाँ से सुनने का इरादा तो था ॥
चाहते तो थे वो आपने से ज़यादा ।
पर मिलना तो उनको गवारा ना था ॥
ख़्वाबों में उनके हम ही थे लेकिन ।
जुबां पर तो हमको उतरा ना था ॥
कांटो के रास्ते पर चल वो रहे थे ।
पर चेहरे पर शिकन का नाज़ारा ना था ।
दुआ थी हमारी सलामत रहें वो।
रहे दिल में उनके बस नाम हमारा ॥
बड़के उनसे कोई दूजा ना देखा ।
अब उनसे दूर रहना ना हमको गवारा ॥
nyc
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