Sunday, 22 September 2013

क्यूँ छोड़ा तूने वो शायर

मैं  हूँ ऒस की बूँदे ,में तुझको ही पाना चाहूँ । 
धूप पड़े जो मुझपे ,कैसे खुदको बचाऊँ ॥ 

चम् -चम्  चमकी तू है ,प्रेम का हूँ मैं सागर । 
आजा मिल ले मुझसे ,तुझपे हूँ में कायल ॥ 

रुकजा थम जा लगा ले ,मुझको अपने होठों से । 
फिर मिलें ना जो हम तुम , कैसे कटेंगी ये रातेँ ॥

बातें करले मुझसे, होजा मुझमें शामिल । 
चलना तू मेरे संग, बनकर मेरा साहिल ॥ 

सुनले मेरे दिल की, धड़कन की ये ग़ज़लें । 
रो भी ना सकूँगा मैं तॊ , जो टूटेंगी तेरी कसमें ॥ 

हर पल तेरे पीछे , सिसकी सी गूंजेगी । 
पूछेंगे सब तुझसे, लाज में तू  डूबेगी ॥ 

हँस ले चाहे कितना, पर टीस तेरे भी मन में । 
उठ कर तुझसे पूछे , क्यूँ छोड़ा तूने वो  शायर ॥  

निमिष चन्दोला 

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